अनजाने-फेरे | Unexpectedly Marriage True Story In Hindi

  आखिर वो दिन आ ही गया जिसका हर लड़की को इन्तजार होता है। उनके अपने जीवन साथी से मिलने का दिन,प्रिया की  शादी होने जा रही थी। बारात आने का समय हो जाता है। सभी बारात का बेसब्री से इन्तजार कर रहे  होते है। बारात आती है पर दुल्हे  की कार की जगह एक एम्बुलेंस आती है। प्रिया के बेहद खूबसूरत जीवन साथी की उसमे लाश पड़ी होती है।
  प्रिया के पिता इसे बर्दाश्त नही कर पाते हैं, उनके सीने मे तेज दर्द उठता है, जाते-जाते वो प्रिया का हाथ अपने सबसे प्रिय मित्र  के बेटे अभिनव के हाथ मे थमा जाते हैं, पुरी घटना इतनी तेजी से घटित होती है कि प्रिया न ही कुछ समझ पाती है और न ही कुछ कह पाती है ।
  ये कहानी उन दो सहेलीयो की है, जो सगी बहनो से भी ज्यादा सगी है । हर वक्त एक साथ रहने वाली इन दो सहेलीयो का जिन्दगी के प्रति नजरिया भी एक जैसा ही होगा ऐसा आप सोच रहे होंगे पर ऐसा बिल्कुल भी नही था। हकीकत ठीक इसके विपरीत थी, प्रिया जो कि स्वभाव से बहुत सीधी थी,  पर सपने किसी आम लड़की जैसे नही थे वो अपने जीवनसाथी मे ज्यादा कुछ तो नही चाहती थी,  हाँ पर वो गुड-लुकिंग हो ऐसा प्रिया चाहती थी । दूसरी ओर अंजलि को बस अपने पढ़ाई मे इन्ट्रेस्ट था उसका फोकस पूरी तरह अपने करियर पर था। पढ़ाई की वजह से ही अंजलि को, प्रिया के शादी के दिन ही बैंक पीओ की परीक्षा देने बाहर जाना पड़ता है ।

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  शादी के तुरंत बाद उसी रात प्रिया अभिनव के साथ उसके घर कानपूर चली जाती है प्रिया की शादी और शादीयो से बहुत हट कर थी । उसे शायद समझ नही आ रहा था कि वह अपने शादी की खुशी मनाए या पिता का गम या फिर न बन सके अपने पसंदीदा जीवनसाथी का गम ।
अभिनव प्रिया के हालात को पूरी तरह समझता था। शायद इसीलिए ही वो एक दिन मे ही उसके करीब आने की कोशिश न करके, पहले  एक अच्छा दोस्त बनने की कोशिश करने लगा । प्रिया सुध-बुध खो चुकी थी । 
  उधर प्रिया की शादी के कुछ दिन बाद ही उसकी प्रिय सहेली अंजलि की भी  शादी हो जाती है, अब उसके करियर बनाने का सपना उसके ससुराल वालो और पति पर डिपेंड करता है ।
  वक्त के  साथ-साथ प्रिया का गम कुछ कम होने लगता है,  अब वो अपने नए जीवन को समझना शुरू करती है । पर जो कुछ  वो अपने समाने देखती है, ऐसी लाईफ की तो उसने कभी शायद कल्पना भी नही की होगी । एक माॅल मे काम करने वाला अभिनव, प्रिया के ख्वाबो के राजकुमार से बिल्कुल अलग था,  वो एक सामान्य रूप-रंग वाला था और उसकी आमदनी भी कुछ खास नही थी ।
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  भले ही हर मामले मे अभिनव फकीर हो पर प्रिया के लिए उसके ह्रदय मे प्यार और सम्मान बहुत था। वो प्रिया के किसी बात पर नाराज नही होता, प्रिया पर जो गुजरी थी उसे अभिनव बखूबी समझता था खूबसूरती का ना सही पर अभिनव “ह्रदयसम्राट” था ।
  एकदिन प्रिया अंजलि के  ससुराल का फोन नम्बर उसके पिता से लेकर अंजलि से बात करती है, दोनो सहेलिया फिर से एकदूसरे के करीब आ जाती हैं । बातों-बातो मे पता चलता है अंजलि की शादी भी कानपुर मे ही हुई थी,  फिर क्या था,दोनो मिलने का निश्चय करते है। मुलाकात की जगह और समय फिक्स होता है। प्रिया  अभिनव के साथ ठीक समय पर पहुंच जाती है। तभी सामने से एक कार आ कर प्रिया के सामने रूकती है। उसमे से सुनहरे बालो वाला और बेहद खूबसूरत प्रिया के सपनो के राजकुमार जैसा एक हैंडसम लड़का चेहरे पर मुस्कुराहट लिए प्रिया को हैलो बोलता है।
   थोड़ी ही देर मे कार से प्रिया की प्रिय सहेली अंजलि बाहर निकलती है । अंजलि प्रिया से बताती है कि वो उसका पति कबीर है । अंजलि अभिनव की तरफ ईशारा करते हुए, प्रिया से पूछती है कि “ये तुम्हारे हसबैंड है” प्रिया दबे जुबान से अभिनव को अपने पति का मैनेजर बताती है । प्रिया राहुल के लुक और उसकी स्टेटस के सामने अभिनव को अपना पति बताने मे शर्म महसूस करती है । 
  अभिनव को अपने माता-पिता को खोने मे उतना दुख नही हुआ था, जितना प्रिया की इस बात को सुनकर होता है, उसके कदम ठहर जाते हैं। उसे अपने  प्रति एक प्रकार की हीनता का एहसास होता है । उसकी आंखो मे आंसू भर जाते हैं। वो कभी प्रिया को तो कभी आसमा को निहारत रहता है। राहुल काफी हँसमुख और मिलनसार स्वभाव का रहता है ।घण्टो की मुलाकात के बाद दोनो सहेलीयो के एक-दूसरे से जुदाई का वक्त आ जाता है,  आज दोनो एक-दूसरे से मिलकर बहुत खुश थी ।
  घर आने के बाद अभिनव तो जैसे प्रिया के आखो मे ही गड़ने लगा था । उसे तो अभिनव अपने आंखो के सामने भी देखना गवारा नही था। उधर अंजलि और प्रिया की फोन पर घण्टो बाते होती रहती हैं। एकदिन प्रिया अपने मायके जाने की जिद करती है अभिनव प्रिया की कोई बात कभी टालता नही था। स्टेशन से घर जाते वक्त प्रिया की टैक्सी के ठीक आगे अंजलि एक स्कूटी मे जाते हुए दिखाई देती है प्रिया, अंजलि को आवाज भी लगाती है,  पर शोरगुल मे अंजलि प्रिया की आवाज को नही सुन पाती है, तब प्रिया भी अपनी टैक्सी उसके स्कूटी के पीछे लगा देती है । अंजलि की टैक्सी रूकती है और वो  सामने एक बैंक मे चली जाती है,  प्रिया पीछे से उसका हाथ पकड़ती है । 
  दोनो सहेलियो मे बाते शुरू होती है । प्रिया अंजलि से यहाँ होने की वजह पूछती है । अंजलि भरी जुबान से बताती है कि कबीर से उसका तलाक हो चुका है , वो शादी के दिन से ही अंजलि को मारता-पिटता था और दिन भर नशे मे धुत रहता था । उसने कभी उसको अपनी पत्नी के रूप मे समझा ही नही ।
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  प्रिया को वक्त रहते ही, जीवनसाथी के सच्चे मायने समझ मे आ चुके थे, और उसने अपने दिल मे उठे एहसास को, अभिनव  से शेयर करने मे देर नही की, उसने अभिनव से, अपने द्वारा किए गए आजतक के सभी बूरे व्यवहार की माफी मांगती है । वह अंजलि से अपने पति के रूप मे अभिनव का परिचय कराती है ।                             
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    Karan Mishra

    करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी एवं कविताएं कहने का भी बहुत शौक है । आपको, अपने निजी जीवन एवं कार्य क्षेत्र में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने की कोशिश करते रहे हैं ।

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