फरेब | Cheating In Love A True Story In Hindi

  सुबह का समय है, गांव के कुछ लोग शौच के लिए जा रहे हैं, तभी पोखरे के किनारे कुछ देखकर, उनके कदम ठहर से जाते है, करीब जाने पर वहा एक युवती पड़ी है, सभी चौक जाते हैं । धीरे-धीरे भारी भीड़ इकट्ठा हो जाती है। 25-26 साल की एक युवती जिसका पूरा शरीर नीला पड़ चुका है, शायद तेज जहर खीला के मारा गया है या शायद सुसाइड का केस है, कौन है ये युवती और कहाँ से आयी है  वहा मौजूद कोई नही जानता, तभी बंशी भी वहा पहुचता है, वो उसे देखकर हक्का-बक्का रह जाता है, जैसे वो उस युवती को भलीभांति जानता हो……..
ये कहानी है, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव वरसाना की,
 पूरे गांव मे अपने खुशियो की धूम बिखेरती निकिता अपने पापा की दुलारी और पापा के सिवा  किसी की बात  न मानने  वाली अपने दोस्तो भाईयो मे सबसे बड़ी है । निकिता के पिता रणधीर फौज मे अफसर की पोस्ट पर तैनात है, उनका घर आना  साल मे एक बार ही होता है,  पर निकिता उस दिन का पूरे साल इन्तजार करती है । पिता को भी इस बात का एहसास है, इसलिए वह भी उसके लिए कोई खूबसूरत सा तौफा लाना नही भूलते है। रणधीर के चचेरे भाई के वहा “भगवद्गीता का पाठ” का आयोजन होता है,  जिसमे निकिता को भी बुलाया गया है, निकिता की माँ भी शादी से पहले निकिता को हर खुशी देना चाहती है, इसलिए वो उसे शहर भेजने को राजी हो जाती है । अपने शहर जाने की बात सुनकर निकिता के कदम जमीन पर नही ठहरते वो ये बात सारे गाँव मे पाट आती है ।
उसे क्या पता था, ये एक छोटी सी खुशी उसके जिन्दगी मे कितना बड़ा तूफान लाने वाला था ।

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  निकिता यहाँ, शहर के चहल-पहल और शोर-शराबे को खूब इन्जॉय कर रही है, निकिता के मस्तमौले स्वभाव से सभी आकर्षित है, सभी उससे खुश हैं।
मुकुंद जो कि उसी मुहल्ले का है और किसी रिश्ते मे भी आता है वहा मौजूद है, उसकी काली दृष्टि निकिता पर पड़ती है । दिखने मे मुकुंद कोई आम लोगो जैसा ही है पर वास्तव मे  वो बहुत ही घटिया और दूषित मानसिकता का  व्यक्ति है। वो निकिता को  हर प्रकार से रिझाने की कोशिश करता है । भोली-भाली निकिता उसकी चालो को समझ नही  पाती है । धीरे-धीरे मुकुंद अपने प्लान मे कामयाब होने लगता है, निकिता उसकी मीठी-मीठी बातो मे आ जाती है वो उसे पसंद करने लगती है,  उसकी पसंद न जाने कब प्यार मे बदल जाती है । महज दस दिनो की मुलाकात मे प्यार परवान चढने लगता है । मुकुंद मौका देखकर निकिता को अपना घर दिखाने ले जाता है, आज मुकुंद के घर मे कोई नही है वो उसके बार-बार करीब आने की कोशिश करता है, निकिता हर बार उसे रोकती है, लेकिन अन्त मे जीत मुकुंद के घिनौने सोच की होती है । निकिता मन ही मन उसे अपना पति मान बैठती है, पर उसे क्या पता कि मुकुंद अपने दोस्तो को उसके और अपने अन्तरंग किस्से सुनाकर उनकी वाहवाही लूटता था, निकिता इन सबसे अन्जान मुकुंद मे अपने जीवनसाथी के सपने देख रही थी ।
दोनो के हफ्तो के प्रेम-प्रसंग के बाद निकिता का मुकुंद से जुदाई का दुखद वक्त आ जाता है , वो मुकुंद के बाहो मे बहुत रोई मुकुंद ने बहुत जल्द शादी करने का विश्वास दिलाकर उसे गांव भेज दिया ।
गांव मे एकदिन निकिता की तबीयत काफी बिगड़ गई उसे अस्पताल लाया गया । तो पता चला निकिता पेट से है, जैसे ही ये बात माँ को पता चली, माँ बेहोश हो गई जब उसे होश आया तो उसने निकिता के पिता को फोन पर सारी बाते बताई। रणधीर फौरन छुट्टी लेकर घर आ गए । माँ-बाप दोनो के करेजे पर जैसे साँप लोट रहे थे। निकिता ने पिता से कुछ नही छुपाया, अपने और मुकुंद के रिश्ते के बारे मे सबकुछ बता दिया । 
तुरंत रणधीर और मां निकिता को लेकर शहर आते हैं। पहले तो मुकुंद ऐसे किसी सम्बन्ध से इन्कार करता है बाद मे स्वीकार तो कर लेता है पर  उसे अपनाने से साफ मना कर देता है, निकिता के आँखो मे आंसू भर जाते है, मुकुंद का ये रूप उसने पहली बार देखा था और जिसकी उसने पहले कभी  कल्पना भी नही की थी । 
 मजबूर पिता निकिता से बच्चा गिराने को कहते है, निकिता फफक-फफक कर रणधीर के बाहो मे रोने लगती है । पिता से कहती है “उसे जहर दे दो, क्योंकि जीते जी वो उस मासूम को कोई चोट नही पहुचाने देगी” जिद्द पर अड़ी निकिता को कई बड़े-बूजूर्ग समझाते है पर वो अपनी बात पर  अडिग रहती है ।
रणधीर और मुकुंद के घरवालो की कई बार बैठक होती है। दबाव बढता देख मुकुंद और उसके घर वाले निकिता को स्वीकार कर लेते हैं। मन्दिर मे दोनो की शादी होती है। ससुराल पहुचने पर नजारा तो कुछ और ही होता है, मुकुंद के घरवाले तो मुकुंद से भी बड़े राक्षस थे। 
घर मे मुकुंद की बहन, उसकी माँ उसके पिता और उसका एक छोटा भाई था ।
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सब के सब निकिता को नित्य प्रताड़ित करने मे लगे थे,  मुकुंद तो उसको बस मारने-पिटने मे  लगा था, चूंकि इस घर मे आने का फैसला भी उसका खुद का था, इसलिए वो इसे किसी से कह भी नही सकती थी और कह के भी क्या फायदा । निकिता एक ऐसी अंधेरी रात की  सुबह  होने की आश लगाए बैठी थी जिसकी सुबह शायद कभी होनी ही नही थी । सबने कई बार  उसे अप्रत्यक्ष रूप से मारने का प्रयास भी किया परन्तु सफल नही हो सके। 
आखिरी महीना चल रहा था निकिता की डिलीवरी का समय बिल्कुल करीब था फिर भी उससे ही किचन सरीखे सारा काम कराने, सारे कपड़े धूलवाने से ये बाज कहा आने वाले थे। वो उसे कभी मायके भी नही जाने देते, पर फिर भी निकिता ने एक सुंदर सी पुत्री को जन्म दिया । अब तो पूरे घर के सब्र का बाँध टूट गया, अस्पताल से आते ही निकिता से सारा काम कराने लगे वो एकदम से कमजोर हो गई । उसकी बेटी को भी घर मे किसी चीज की आजादी नही थी। धीरे-धीरे वक्त के साथ मुकुंद एक पार्टी का लिडर बन जाता है।
सब मिलकर एक योजना बनाते है, निकिता के प्रति पूरे परिवार का व्यवहार बदल जाता है सब उस प्यार करने लगते है, आज पहली बार उसे उसके मायके घुमाने ले जाने की बात होती है । शायद निकिता के साथ कुछ होने वाला है । पर इन सबसे बेखबर निकिता को तो अपने मायके जाने की बहोत खुशी है । 
आज क्या होने वाला है, क्या वाकई मुकुंद और उसका परिवार अचानक बदल चुका था । आखिर उनके इस बदले व्यवहार की वजह क्या थी । कुछ तो वो निकिता से छुपा रहे थे ।
सुबह गाड़ी निकलती है । गाड़ी मे निकिता, उसकी बेटी, मुकुंद, उसका भाई और उसकी बहन है, निकिता के आँखो मे आज बरसो बाद खुशी झलकी है । शाम को गाड़ी वापस आती है, गाड़ी रूकती है गाड़ी मे सब लोग हैं पर निकिता कही दिखाई नही दे रही ।
बंशी लाश को शायद पहचान जाता है, वो उल्टे पावँ जोर-जोर से चिल्लाते हुए, रणधीर के दरवाजे पर पहुंचता है संयोगवश वो छुट्टियो मे घर आए हुए है, बंशी जो वहा बताता है वो सुनकर सबका कलेजा कापँ उठता है सब पोखरे की ओर दौड़ते है, हाँ वो अभागन निकिता ही है, आज वो खामोश है वो कुछ नही कह रही शायद शो गई है, हमेशा के लिए ।
मौके पर पुलिस भी पहुँच जाती है, तफ्तीश के दौरान निकिता की दास्तान पुलिस को मालूम पड़ती है, पुलिस मय फोर्स एवः निकिता के माता-पिता के साथ मुकुंद के घर पहुंचते है पर घर मे तो कोई नही है काफी खोजबीन के बाद मुकुंद पकड़ा जाता है, वो और उसका परिवार आईपीसी की धारा- 302 एवः अन्य धाराओ के अन्तर्गत जेल की सलाखो के पीछे है । कोर्ट मे ये केस विचाराधीन है ।
दोस्तो निकिता ने जो गलती की उसे आप हरगिज न दोहराए ये जिंदगी जीने के लिए है किसी राक्षस को भेट चढाने के लिए नही । गलती हो जाए तो उसे सुधार कर आगे बढें ।
                  
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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी एवं कविताएं कहने का भी बहुत शौक है । आपको, अपने निजी जीवन एवं कार्य क्षेत्र में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने की कोशिश करते रहे हैं ।

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