झूठ का घड़ा ज्यादा दिन नही टिकता | Learn Honesty Inspirational Story In Hindi

      मां की लाख कोशिशों के बाद भी अनन्या ने किचन का काम सीखने में रुचि नहीं दिखाई उसकी मां उससे हमेशा कहती

  ” बेटी कुछ तो किचन का काम भी सीख ले ससुराल जाकर मायके वालों का नाक कटवाएगी क्या”

 पर इन बातों को सुनकर अनन्या का मूड खराब हो जाता था तो वह फुनक कर कहती
“जब जाऊंगी तो सीख लूंगी, देख लेना”

 ऐसा कहकर वह फिर अपना मनपसंद टीवी सीरियल देखने बैठ जाती थी वह दिन भर टीवी देखती रहती थी खाना भी वह वही खाती और TV देखते देखते कई बार वही सोफे पर वह सो भी जाती। तभी एक दिन अनन्या के पिता को एक अच्छे रिश्ते के बारे में जानकारी मिलती है, वह फौरन लड़के को देखने चले जाते हैं। रोहित बैंक में काम करता है उन्हें रोहित बहुत पसंद आता है । रोहित की शादी अनन्या से हो जाती है।

  अनन्या के साथ रोहित बहुत खुश है सासु मां से अनन्या शहर जाने की सिफारिश करती है, मां के कहने पर रोहित अनन्या को अपने साथ शहर लेकर आ जाता है। वहां अनन्या की चांदी हो जाती है । वहां रोकने वाला कोई नहीं था । सुबह शाम काम वाली भी आती थी बस फिर क्या वही ऐशो-आराम वाले अनन्या के दिन वापस लौट आते हैं। करीब 2 महीने बाद रोहित अनन्या से बड़े प्यार से कहता है ।

” अनन्या हम कब तक कामवाली के हाथो का खाना खाएंगे । अब तो मुझे तुम्हारे ही हाथ का खाना खाना है”
 इतना सुनकर अनन्या के चेहरे की खुशी गायब हो जाती है , उसे जैसे सांप सूंघ गया था। वह ना हंस पा रही थी ना ही रो पा रही थी पर सिर हिलाकर वह रोहित के जवाब में हामी भर देती है ।

  रोहित के जाने के बाद अनन्या मन मारकर खाना बनाने का काम सीखती है मगर थोड़ी ही देर में उसे यह काम मुश्किल और बहुत ज्यादा बोरिंग लगने लगता है थक-हारकर वह सोफे पर बैठ जाती है और गाल पर हाथ रखकर इस समस्या का कोई शॉर्टकट उपाय ढूंढने लगती है थोड़ी ही देर में उसके मन में कोई उपाय सूझता है। वह बड़ी ही प्रसन्नता से उठ कर खड़ी हो जाती है , वह खुशी से भावविभोर हो जाती है । शाम को जब रोहित घर लौटता है तो उसे खाने में सरप्राइज़ मिलता है । आज खाने में रोज से अलग डिशे खाने को मिलती है ।

 रोहित अनन्या से पूछता है

“ये सब तुमने बनाया है”
 तो अनन्या खिलखिलाते हुए कहती है

——–

“तो क्या  ऐसी डिशेज आज से पहले कभी तुमने खाई थी क्या” रोहित अनन्या से मिली इस सरप्राइज़ से बहुत खुश होता है । उस दिन के बाद रोहित को हर रोज तरह-तरह की नई डिशेज खाने में मिलती। एक दिन अनन्या के बहुत पूछने पर रोहित ने बताया कि उसे तालमखाने की खीर बहुत पसंद है । अनन्या ने कहा
“इसमें कौन सी बड़ी बात है”

 शाम को रोहित जब ऑफिस से लौटता है तो तालमखाने की खीर खाने को अनन्या उसे देती है. रोहित को वह खीर बहुत ज्यादा पसंद आती है। अगले दिन रोहित ने ऑफिस से ही अनन्या को फोन करके बताया कि शाम को उसके दोस्त खाने पर आ रहे हैं, तुम कुछ बनाओ या ना बनाओ पर वह तालमखाने वाली खीर जरूर बनाना अनन्या खुशी-खुशी राजी हो जाती है जब उसके दोस्त शाम को खाने पर आते हैं तो अनन्या ने सबसे पहले उनको तालमखाने की खीर परोसी सबको खीर इतनी पसंद आयी की सबने थोड़ी और खीर देने को अनन्या से कहा। यह बात सुनते ही अनन्या को मानो 400 वोल्ट का करंट लग गया हो वह वही बूत बने खड़ी रही, उसका चेहरा पसीने से भीग जाता है। रोहित ने बोला

“क्या हुआ अनन्या तुम खीर क्यों नहीं ला रही”
अनन्या “हां हां मैं अभी लाती हूँ”

 अनन्या किचन में जाकर अपने नाखून काटने लगती है। काफी देर तक वेट करने के बाद रोहित अंदर किचन मे जाता है तो वह देखता है कि अनन्या तो चुपचाप किचन में हाथ पर हाथ धरे बैठी है। रोहित को बहुत गुस्सा आया । उसने अनन्या से कहा

“यार सब वहां तुम्हारे खीर का वेट कर रहे हैं और तुम यहां हाथ पर हाथ धरे मेरे दोस्तों के सामने मेरा तमाशा बनने का इंतजार कर रही हो”

 बेचारी अनन्या के झूठ का घड़ा आज फूट चुका था रोज तो वह सुबह-सुबह हल्का-फुल्का ब्रेकफास्ट बनाकर रोहित को निपटा देती थी और फिर शाम को उसके आने से पहले कुछ अलग डिसेज जो रोहित ने पहले कभी नहीं खाई थी कामवाली के घर जाने से पहले उससे बनवा लेती थी। और फिर वही रोहित को परोस देती थी। रोहित भी अनन्या के इस झूठ को कभी भाप नहीं पाया। वह उसे एक अच्छा कुक समझ बैठा था । आज भी अनन्या ने ऐसा ही किया था, मगर खीर दोबारा मांग देने से, खीर कम पड़ गई अब तो काम वाली बाई भी जा चुकी है । रोहित के बढ़ते गुस्से के सामने मजबूरन अनन्या को अपना झूठ कबूल करना पड़ा

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      Karan Mishra

      करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी एवं कविताएं कहने का भी बहुत शौक है । आपको, अपने निजी जीवन एवं कार्य क्षेत्र में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने की कोशिश करते रहे हैं ।

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