कल की तैयारी आज से | Top Motivational Hindi Story On Preparing Of Tomorrow

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  एक ही गांव के रहने वाले संगीत, सोम और सुमन बचपन से ही पढ़ाई में काफी थे। तीनों पास के प्राथमिक विद्यालय में एक ही कक्षा के छात्र थे। उनकी पढ़ाई लिखाई में इस प्रकार की रुचि से उनके माता-पिता भी काफी खुश थे।

  प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर लेने के बाद तीनों का दाखिला उनके घरवालों ने पास के ही एक पब्लिक स्कूल में कराया। दाखिला करा कर घर लौटे उनके पिता घर के पास ही बने कुएं के चबूतरे पर बैठकर आपस में बात कर रहे थे। तभी
 “इस बार देखो इनमे कौन सबसे ज्यादा नंबर लाता है” सोम के पिता ने उन तीनों की तरफ इशारा करते हुए कहा, सोम के पिता द्वारा इस प्रकार के कंपटीशन भरी बातों के बावजूद उन तीनों में आपस में किसी प्रकार की ईष्या की भावना नहीं आई। वो आज भी अच्छे दोस्त थे।

  बारहवीं की शिक्षा के बाद सुमन के पिता ने उसके विवाह की सोची, परंतु सुमन को इस बारे में कुछ भी नही बताया । एक दिन सुमन को माँ ने खूब सजा-धजा कर, घर आए, कुछ मेहमानों के सामने लेकर गई। वहां बैठे-बैठे सुमन ने सारा मामला समझ लिया।

  उनके जाने के बाद सुमन ने अभी और आगे पढ़ने और जिंदगी में कुछ करने के अपने दृढ़ निश्चय संकल्प से घरवालों को अवगत कराया,

  परन्तु सुमन के माता-पिता, बिटिया का पढ़ाई में काफी तेज होने और उसके इरादे जानने के बावजूद वक्त रहते वे बिटिया की शादी की जिम्मेदारियों को  पूरा कर लेना चाहते थे। सुमन के जिद्द करने पर पिता ने उसे ससुराल में जाकर पढ़ने की नसीहत दे ढाली।

  जब ये बात उसके दोस्त संगीत और सोम को पता चली तो उन्होंने सुमन के पिता को काफी समझाया पर सुमन के पिता ने उनकी एक न सुनी। सुमन ने समझ लिया कि उसकी पढ़ाई की यात्रा अब यहीं समाप्त हुई।

  परंतु तभी सोम के पिता जो सुमन को अपनी बेटी की तरह मानते थे। वह स्वयं उसके पिता के पास आए और सुमन की इतनी जल्दी शादी करने के लिए उसके पिता को खूब फटकार लगाई। सुमन के पिता पहले तो सोम के पिता पर काफी नाराज हुए।

  मगर थोड़ी ही देर में उन्हे सोम के पिता की बात समझ आने लगी। अब वे भी सुमन को आगे पढ़ने को तैयार थे । सुमन जीवन में मिले इस अवसर को किसी भी हाल में गवाना नहीं चाहती थी। पिता के इस फैसले के बाद जीवन में कुछ नए सपने जगाए। बक्से में रख चुकी किताबों को उसने वापस निकाला और अपनी पढ़ाई में जुट गई।

  गांव व आस-पास में कोई डिग्री कॉलेज न होने के कारण उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए दूर बड़े शहर में जाने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं था। लिहाजा तीनों को स्नातक के लिए बड़े शहर जाना पड़ा। स्नातक की पढ़ाई करते करते ही तीनो ने अपनी जिंदगी का लक्ष्य तय कर लिया था।

  संयोगवश तीनों का लक्ष्य एक ही था। तीनों ने प्रशासनिक सेवा में अपना भविष्य बनाने की सोची। बच्चों के सपनों की ये खबर जब उनके माता-पिता को लगी तो उनके पैर तो मानो जमीन पर ही नही टिक रहे थे। कल तक उनके सामने खेलते नन्हे कदमों के आसमान छूने की चाहत से माता पिता काफी गदगद हो गए।

  बच्चों के इस फैसले में उनका पूरा साथ देने की उन्होंने ठान ली। शहर के सबसे सफल कोचिंग सेंटर से तीनों ने परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया।

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  परंतु सेंटर की फीस काफी ज्यादा थी। सुमन ने सोचा कि इतनी फीस सुनकर तो उसके पिता, तैयारी करने से ही साफ मना कर देंगे, परंतु इसके विपरीत फोन पर सुमन ने पिता से
“यहाँ फीस बहुत ज्यादा है”
अभी इतना ही कहा था कि पिता ने उधर से बोला

“तुम पैसो की चिंता मत करो । जितना लगेगा मैं दूंगा तुम कल ही जाकर वहां दाखिला ले लो और तैयारी शुरू करो”
पिता के इस प्रकार के विश्वास भरे कदम ने सुमन का आत्मविश्वास दोगुना कर दिया। तीनों ने परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। रात दिन की मेहनत के बाद समय आया परीक्षा का। तीनों ने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ  प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हुए।

परीक्षा काफी अच्छी हुई।
  प्रारंभिक परीक्षा के खत्म होते ही तीनों ने पार्टी इंजॉय की। कुछ ही दिनों के इंतजार के बाद अब समय था। प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट का। परीक्षा के परिणामों को लेकर वे काफी आश्वस्त थे। परीक्षा के परिणाम को जानने के लिए उत्सुक माता-पिता ने सुबह से कई बार उनसे परिणाम पूछ-पूछ कर उनके दिल की धड़कने काफी तेज कर दी थी।

  थोड़ी देर मैं तीनों ने परिणाम देखा। जीवन में तीनों ने ऐसा परिणाम पहली बार देखा था। जो उनकी उम्मीदों के बिल्कुल विपरीत था। तीनों को असफलता हाथ लगी थी।

  परिणामों को देखते ही उनके खिले खिले चेहरे मुरझा गए। वक्त जैसे थम सा गया। वह किसी को नहीं बल्कि बस खुद को तो कभी इधर उधर जाने क्या आखों से ढंढे जा रहे थे। एक दूसरे से आखं मिलाने की तो उनमे जैसे हिम्मत ही नहीं थी और देखें भी तो कैसे आज पहली बार उनके सामने ऐसी स्थिति बनी थी ।

  जिनकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। घर पहुंचने पर घरवालों के फोन से बज रही PMT की घंटी मानो तगादे पर आए सूदखोर की दिल दहलाने वाली क्रूर आवाज सी प्रतीत हो रही थी।

   रात बीत गई न घंटी बंद हुई न किसी ने बिस्तर की ओर रुख किया। रिजल्ट की आस में दिन भर थके हारे और भूखे-प्यासे उन तीनों की न जाने कब आंख लग गई। सुबह हुई तो कोई सोफे पर लेटा था। कोई नीचे फर्श पर तो कोई कुर्सी पर पीछे सर टिकाए पड़ा था।

  बच्चों की कोई खबर न मिल सकने से परेशान माता-पिता सुबह होते होते स्वयं शहर आ धमके। शहर पहुंचने पर दरवाजा भी खटखटाने की जरूरत नहीं पड़ी। शायद पिछली रात तीनों में से किसी को दरवाजा बंद करने का ध्यान ही नहीं रहा।

  घर पहुंचे माता-पिता इधर-उधर अपने बेसुध बच्चों को पाकर काफी घबरा गए। सब को जगाने के बाद अभी वे  उनसे कुछ पूछते। तब तक सुमन फफक पड़ी उसके टप-टप गिरते आंसुओं ने उन्हें सब कुछ समझा दिया।

  माता पिता के समझाने-बुझाने से आत्मविश्वास में वापस लौटे बच्चों ने पुरानी गलतियों से सीख लेते हुए। नए सिरे से उन्होंने ‘करो या मरो’ के साथ तैयारी शुरू की। इसबार उन्होंने कोचिंग की मदद न लेते हुए सेल्फ स्टडी पर ध्यान केंद्रित किया।

  प्रारंभिक परीक्षा संपन्न हुई। परीक्षा खत्म होने के दूसरे दिन संगीत अपने कमरे में नहीं था। उसे वहां न पाकर दोनों बहुत चिंतित थे। दूसरे दोस्तों को भी उसके बारे में कुछ पता नहीं चल रहा था। दोपहर बाद संगीत घर वापस आया।

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  उसके हाथों में कुछ बुक्स थी। सोम ने संगीत के हाथों से बुक्स छीनते हुए बोला,
 “यार तुम सुबह से कहां थे, तुम्हें पता है हम कितने परेशान थे। कहीं जाया करो तो बता कर जाया करो। ऐसे बिना बताए कहीं भी निकल जाना ठीक नहीं”  
 “ऐसा कहते हुए सोम ने उन बुक्स पर निगाह डाली”  जो संगीत के हाथों मे थी और हसते हुवे बोला


 “देख सुमन अपना संगीत तो IAS बन गया। अभी प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट भी नहीं आए और यह मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुट गया”

सुमन ने बोला “क्या”
सोम “हां देखो इसने मुख्य परीक्षा के तैयारी की बुक्स खरीदी है”

  यह सुनकर सुमन भी ताली पीट पीट कर हंसने लगी। सुमन ने बोला “लगता है ये दो बार के फेल्योर से फ्रस्टेट हो गया है अरे यार पहले रिजल्ट तो आ जाने देते”


“संगीत ने कहा तुम्हें नहीं करना तो मत करो। मगर मुझे मत समझाओ मैं जो कर रहा हूँ। बहुत सोच समझकर कर रहा हूँ । अगर हम प्री परीक्षा के रिजल्ट में सफल हुए तो रिजल्ट निकलने के कुछ दिनो बाद ही हमें मेंस में बैठना होगा। इतने कम समय में इतनी बड़ी तैयारी कैसे हो पाएगी। मेरी मानो तुम प्री के परिणामों की प्रतीक्षा छोड़कर मेंस की तैयारी में जुट जाओ”

  परन्तु उसकी भला कौन सुनने वाला। दोनों बस उसका मजाक उड़ाते रहे पर वह उन्हें इग्नोर करके अपनी तैयारी में जुट गया।

  आखिरकार रात की सुबह हुई। प्री का रिजल्ट आया। तीनों ने काफी समय बाद पुनः सफलता का स्वाद चखा। तीनो बहुत खुश हुए। परंतु घर लौटते ही सोम और सुमन को मेंस की चिंता सताने लगी। अभी तक तो उन्होंने इस परीक्षा की कोई तैयारी ही नहीं की थी।

  हालांकि संगीत ने अभी तक काफी कुछ तैयार कर रखा था। संगीत की मदद से अब वे दोनों भी मेंस की तैयारी मे जुट गए। अब वक्त था रिजल्ट का इस बार का रिजल्ट हरबार से बिल्कुल भिन्न था।

  परीक्षा में सफलता तो मिली थी परंतु सिर्फ संगीत को बाकी दोनों के हाथ कुछ नहीं लगा। जीवन मे मिले एक महत्वपूर्ण अवसर को दोनों गवाँ बैठे थे। संगीत पिता के सपनों पर खरा उतरा उसका प्रशासनिक अधिकारी के पद पर चयन हुआ।
  

दोस्तों हम सभी, एक अवसर की प्रतीक्षा में बैठे रहते। परंतु जब वह असर आता है तो उस अवसर को भुनाने के लिए हमारे पास पहले से कोई तैयारी नहीं होती क्योंकि सारा समय बस उस opportunitie के, पहले मिलने के इंतजार में ही बिता देते हैं। अतः कल जो कुछ भी हम करना चाहते हैं उसकी मुकम्मल तैयारी हमें आज से ही करनी होगी।

      Moral Of The Story 

Moral of the story

                   

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      author

      Karan Mishra

      करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी एवं कविताएं कहने का भी बहुत शौक है । आपको, अपने निजी जीवन एवं कार्य क्षेत्र में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने की कोशिश करते रहे हैं ।

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