सरदार यह सब जानकर काफी नाराज होता है । वह कमलेश के कर्ज से जीवन को मुक्त करते हुए । कमलेश को समूह से बाहर जाने का आदेश देता है जिसे सुनकर कमलेश कांप उठता है और इसप्रकार “मियां की जूती मियां का सर” वाली कहावत चरितार्थ हो जाती है ।
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