उसकी एक नजर ने ही अमित को दीवाना बना दिया था, वह बला की खूबसूरत लग रही थी बारीश मे भीगी हुई, बारीश के पानी ने उसे सर से पाँव तक भीगो दिया था ,उसके गालो पर लिपटी उसकी जुल्फे किसी को भी दिवाना बनाने के लिये काफी थी , आज सच में सभी अप्सरायें एक ही मूर्ति में समा गई थी । आज के पहले बहुत से चेहरे देखे लेकिन किसी में भी इतनी कशिश नही देखी थी।
आज सच में धन्यवाद करने का मन कर रहा था । उस रोड़ लाइट का जिसकी मेहरबानी से उनका दीदार हो पा रहा था । वह परेशान थी कि उसकी स्कूटी स्टार्ट नही हो रही थी ,बारीस में भीगी हुई अपनी जुल्फो को जब अपने गालो से हटाती थी तो उसके गालो का दीदार होता फिर पानी की एक एक बूँद उसके गोरे गालो से जो टपकती, किसी ऋषि मुनि की तपस्या भंग करने के लिये काफी थी, मन इस बारीश का भी शुक्रिया अदा कर रहा था जिसके कारण आज जन्नत के दर्शन जमी पर हो रहे थे ,सभी बारीश मे रूके थे मुझे आज भीगने का मन था जिस के कारण आज इस खुबसूरत लम्हे का दीदार कर पाया , और कहते है ना कि कभी अपने मन का भी कर लेना चाहिये मैने कहा -" मै कुछ हेल्प करू "
आज सच में धन्यवाद करने का मन कर रहा था । उस रोड़ लाइट का जिसकी मेहरबानी से उनका दीदार हो पा रहा था । वह परेशान थी कि उसकी स्कूटी स्टार्ट नही हो रही थी ,बारीस में भीगी हुई अपनी जुल्फो को जब अपने गालो से हटाती थी तो उसके गालो का दीदार होता फिर पानी की एक एक बूँद उसके गोरे गालो से जो टपकती, किसी ऋषि मुनि की तपस्या भंग करने के लिये काफी थी, मन इस बारीश का भी शुक्रिया अदा कर रहा था जिसके कारण आज जन्नत के दर्शन जमी पर हो रहे थे ,सभी बारीश मे रूके थे मुझे आज भीगने का मन था जिस के कारण आज इस खुबसूरत लम्हे का दीदार कर पाया , और कहते है ना कि कभी अपने मन का भी कर लेना चाहिये मैने कहा -" मै कुछ हेल्प करू "
उसने पलट कर देखा उसे इस बाद का ख्याल ही नही था कि उसके इस कमाल के हुस्न का दीदार कोई बहुत देर से कर रहा हैं वह तो अपनी स्कूटी स्टार्ट करने में लगी थी ।
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वह थोड़ी दूर हटी, मैने एक किक मारी और स्कूटी स्टार्ट हो गई ।
उसने कहा आप मैकेनिक हैं
मैने कहाँ नही , बहुत जल्दी में भी कभी कभी गाड़ी स्टार्ट नही होती, वह स्कूटी पर बैठ गई अपना हाथ बढ़ाया
"परी नाम है मेरा "
मैं - अमित (उसका हाथ छोड़ने का मन तो नही कर रहा था लेकिन हीरो से जीरो नही बनना चाहता था इसीलिये परी के कोमल हाथो को छोड़ दिया परी ने बॉय बोला और चली गई मैं उसे देखता रहा जहाँ तक वह दिखी मुझे)
मेरी ऑखो से नींद गायब थी बस यही सोच रहा था कि इस परी से ऐसे क्या फिर मिलूंगा, कभी दुबारा दीदार होंगे या नही उस खुबसूरत गुलाबी चेहरे के ,उन मुलायम हाथों का स्पर्श कभी होगा ।
एक मैरेज पार्टी में सभी अपनी मस्ती मे थे कुछ बच्चे डीजे की धुन पर थिरक रहे थे कुछ औरते आपस में हँसी के ठहाके लगा रही थी मै अपने दोस्त का इन्तजार कर रहा था जिसके भाई के मैरेज पार्टी में आया था चूंकि वह किसी को नही जानता था इस लिये यह बोरिंग पार्टी लग रही थी। अमित बहुत देर के बाद होटल से बाहर चला आया पार्किंग के पास आ कर उसने अपने दोस्त रवि को दुबारा फोन किया।
अमित - कहा है यार पाँच मिनट बोला था और अभी आधे घन्टे हो गए ।
रवि - थोड़ा देर रूक अभी आता हूँ ।
अमित वही होटल के बाहर ही टहल रहा था कि कुछ देर बाद एक स्कूटी पर वही खूबसूरत लड़की परी शायद अपनी माँ के साथ अन्दर आई और पार्किग मे गाड़ी पार्क करने चली गई ।
अमित -( मन में सोचने लगा ) स्कूटी के पीछे बैठी औरत को कही देखा है ।
(लेकिन उसे याद नही आ रहा था वह दोनो कुछ देर मे गाड़ी पार्क कर के आ गई । अमित जैसे उनको दुबारा देखा उसे याद आ गया वह मिसेज रेखा है ।
दुआ इतनी जल्दी कुबूल होती हैं कभी सोचा न था अभी कल कि बारीश में जिसके दीदार हुये थे जिसको याद कर के रात भर करवटे बदलता रहा वह आज मेरे सामने थी कल बारीश में जितनी खुबसूरत लग रही थी उतनी ही आज भी निखार है उन के हुस्न मे,फर्क बस इतना था कि बारीश के कारण जो रेशमी जुल्फे उसके गालो से चिपक रही थी वही आज हवा में लहरा कर उसके गालो को चुम रही थी ।
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""खुदा ने बहुत ही फुरसत से तेरे हुस्न को तरासा है ,काश तेरे हथेलियों पर मेरा नाम लिखा हो, खुदा ने ""
रेखा जी - कैसे हो अमित ( रेखा जी अमित को पहचान गई )
अमित - ठीक हूँ , आप कैसी है ।
रेखा जी - ठीक हूँ, किसी का इन्तजार कर रहे हो ।
अमित - रवि का
रेखा जी - अच्छा ठीक है , अभी हो ना
अमित - जी
रेखा जी - तो मिलना , बिना मिले नही जाना
( रेखा जी ऐसे बात कर रही थी जैसे उसको बरसो से जानती हो )
परी - और अमित ।
अमित - ठीक हूँ ।
रेखा - कैसे जानती हो तुम अमित को ।
परी - बताया तो था कल रात, बारीश मे स्कूटी स्टार्ट नही हो रही थी तो अमित ।
रेखा - तो वह अमित था रवि का दोस्त है रवि के बर्थडे पार्टी मे मुलाकात हुई थी , बहुत अच्छा लड़का है मुझे घर तक छोड़ा था उस दिन ।
परी - क्या यादास्त है आप की छः महीने पहले जिससे मिली थी वह याद है ।
बात करते करते दोनो होटल के अन्दर पहुँच गई और वहाँ मिसेज चड्ढा और उनकी दोनो बेटियो से उनकी मुलाकात हुई ।
इधर रवि भी पन्द्रह मिनट में होटल आ गया
अपने बड़े भाई और भाभी न्यू कपल के साथ
रवि -और भाई अमित , ये है हमारी भाभी ,कैसी है
( रवि बहुत खुश था अपनी नई नवेली भाभी के साथ )
अमित - बहुत खुबसूरत हैं
रवि - अग्रेजी में बोल हिन्दी नही समझती हमारी भाभी, क्यो भाभी
रवि ने भाभी के तरफ नही देखा जानता था भाभी उसे घुर रही होंगी, भाभी अंग्रेजी में Phd कि थी
अमित - वेरी ब्यूटिफूल, हिन्दी सीखा देना भाई क्योकि मेरी अंग्रेजी बहुत अच्छी नही हैं ।
हँसी के ठहाको के साथ आगे बढ़ गये , नये जोड़े से मिलने के लिये सब बेकरार थे दुल्हन से मिलकर बच्चे बहुत खुश थे , रवि ने भी अपने बाकी मित्रो से अमित का परिचय कराया , पार्टी को सब एन्जॉय कर रहे थे ।
अमित फोन पर किसी से बात कर रहा था उसे लगा कोई उसके पीछे खड़ा है, अमित ने फोन काट दिया अमित की निगाहे परी को एक टक देखे जा रही थी ।
परी -अमित
अमित बूत की तरह खड़ा था परी ने दुबारा पुकारा - अमित फिर भी एक टक उसे देखे जा रहा था जैसे उसके कानों तक परी की आवाज जा ही नही रही हो ,तीन चार आवाज देने के बाद भी जब वह ऐसे ही बूत बना रहा तो इस बार परी ने उसका हाथ पकड़ कर पूरा झकझोर दिया ।
परी - अमित कहा खोये हो
अमित - (थोड़ा हड़बडाए हुये ) कही नही
परी- "चार पाँच बार अमित- अमित बुला चुकी तुम सामने खड़े हो कुछ बोल ही नही रहे हो, कहा खोये हो"
अमित -(बात को टालते हुवे कैसे कहे की तुम्हारे ख्वाबों में ) कैसी हो
परी - फाइन
अमित - स्कूटि बीच मे बन्द तो नही हुई
परी - नही , कल के लिये थैंक्स,मै आधे घन्टे से स्टार्ट कर रही थी वह स्टार्ट ही नही हो रही थी ।
अमित - एक बात कहूँ (परी की फेंन्डली बातों से अमित की हिम्मत बढ़ रही थी)
परी - बोलो
अमित - तुम बहुत खुबसूरत लग रही हो
परी - (मुस्कुराते हुये) थैंक यू
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अमित - मैने सोचा नही था कि तुम ऐसे मिल जाओगी, फिर तुम ऐसे आ कर मुझसे बात करोगी , अभी जब तुम सामने आ कर खड़ी हुई तो मैने सोचा यह मेरी कल्पना है मै तुम को देखे जा रहा था ,
परी अपनी तारीफ सुन कर मन ही मन बहुत खुश थी
परी - और कल , मैने नोटिस किया कल भी तुम बहुत ध्यान से देख रहे थे मेरी मदद के लिये रूके थे या फिर...
अमित - मदद के लिये ही रूका था लेकिन तुम्हारे हुस्न का दीदार करने से अपने को रोक नही सका , बारीश मे तुम बहुत हसीन लग रही थी ।
परी- मै बारीश मे परेशान थी , आधे घन्टे से भीग रही थी और तुम वहा मजे ले रहे थे (झूठा गुस्सा दिखाते हुए )
अमित - गलत न समझो , तुम्हारा ध्यान मुझ पर था ही नही, तुमको देखने के बाद कोई भी तुमको देखता ही रह जाता, फिर तुम क्या चीज हो।
अमित - सारी कायनात मे तुम जैसा शायद ही कोई होगा
परी - ज्यादा नही हो रहा
अमित - नही (अब दोनो दोस्त बन चुके थे अब डर नही था किसी बात का ),
अमित - रात भर तुमको ही याद करता रहा ।
दोनो अपनी बातो मे इतने खो गये थे की उनको किसी का ध्यान ही नही था ,परी ने भी अमित को एक बार मे ही दिल दे दिया था ।
रेखा जी का फोन आया तो परी चली गई जाने से पहले दोनो ने एक-दूसरे के फोन नम्बर लिए एक और मिलने का वादा भी किया ।
रेखा कि नजरो से अमित बच कर परी को देखता रहा , पार्टी समाप्ति की ओर थी लोग एक-दूसरे से मिलने के बाद जाने लगे थे ,अब अमित भी जाने कि सोच रहा था कि पीछे से आवाज आई अमित ने पीछे मुड़ कर देखा तो रेखा जी अपनी परी के साथ थी ।
रेखा जी - अमित खाना खा लिए
अमित -" जी"
रेखा -"पूरी पार्टी खत्म हो गई तुम मिले ही नही , मैने तुमको ढुढा लेकिन तुम नही दिखे ,
अमित - मै भी मिलना चाहता था लेकिन इतने लोगो मे आप नही दिखी ( वह झूठ बोल रहा था वह तो परी के साथ ही था )
रेखा जी - कभी घर पर आओ
अमित - आऊगाँ
रेखा जी - कल सन्डे है कल आओ, मै कल तुम्हारा इन्तजार करूंगी (रेखा जी ने अपना नं0 दिया और उसका भी नं0 लिया )
अमित और परी के चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान थी और कल फिर से मिलने की खुशी थी ।
अब, दोनो के मिलने का सिलसिला शुरू हो गया, कहते है दोस्तो, इश्क के राज, छुपाए नही छुपते, दोनो के रिश्तो की खबर रेखा को भी लग गई, मगर होना क्या था, रेखा को तो अमित पहले से ही पसंद था, उसे अपने दामाद के रूप मे पाकर आज वो भी बहुत खुश थी
दोस्तो बरसात की एक रात ने दो दिलो को हमेशा-हमेशा के लिए एक कर दिया था ।
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Writer
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Prabhakar
With
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Team MyNiceLine.com
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