गुमशुदा – सच्ची कहानी | Missing True Story In Hindi

आसमान मे आज घेरे मे काफी ज्यादा संख्या मे पंछी मडरा रहे है।काफी तेजी से कोई दुर्गंध फैल रही है, लोग मुहँ को कपड़े से ढकने लगे है। चारो तरफ भीड़ जमा है, आख़िर क्या हो रहा है। वहा कुछ लोग खुदाई कर रहे है।काफी तादाद मे वहा पुलिस भी खड़ी है। थोड़ी ही देर मे खुदाई रूक जाती है। सभी चौक जाते क्या है वहा, नजदीक से देखने पर वहा किसी की बाॅडी नजर आ रही है। कुछ दिन पुरानी होने के कारण थोड़ी सड़ गई है। उसकी दुर्गंध से वहा सासं लेना मुश्किल हो रहा है।

     ये कहानी उदयपुर राजस्थान के एक छोटे से गांव भीलपुर की है। गांव के निवासी शिवराज ने गांव का नाम रौशन करने का काम किया, फौज मे अफसर की पोस्ट पर रहकर उन्होंने देश की सेवा की।

   शिवराज अपने पिता के सपनो के अनुरूप शुरू से फौज मे भर्ती होने के उत्सुक थे। गांव के अन्य युवको के साथ शिवराज ने मैदान मे खूब पसीना बहाया। पढ़ाई मे भी शिवराज का परफार्मेंस बेहतर था।

    आखिरकार शिवराज की मेहनत रंग लाई और उन्हे “नेशनल डिफेंस सर्विसेज” के अन्तर्गत देश सेवा करने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ। अपनी प्रतिभा के बदौलत अपने छोटे से गांव को एक नई पहचान देने मे शिवराज कामयाब रहे,उनका विवाह पड़ोस के गांव की एक लड़की उर्मिला से हुआ। कालांतर मे उनके दो पुत्र विष्णु और विवेक हुए।

   शिवराज छुट्टियो मे जब भी आते वो अपने परिवार के साथ पूरा वक्त गुजारते। उन्हे बच्चो से बेहद लगाव था। समय के साथ शिवराज को सर्विस से रिटायर होना पड़ा, पर शिवराज शुरू से ही खुद को व्यस्त रखने वाले थे। आरामतलबी उनकी फितरत मे नही थी। शिवराज ने रिटायरमेन्ट से पहले ही अपने करियर के दूसरे अध्याय की योजना बना ली थी।

   घर वापस आने के बाद वो अपनी योजना को शक्ल देने के लिए इस उम्र मे भी जी तोड़ मेहनत कर रहे थे । आखिरकार वो अपना व्यवसाय शुरू करने मे सफल रहे, उन्होंने बकरी पालन का व्यवसाय शुरू किया।
     हालांकि उनके दोनो बेटे जो फौज मे ही उनकी तरह अफसर की पोस्ट पर   तैनात थे। उनसे रिटायरमेन्ट के बाद सिर्फ आराम करने और लाईफ इन्जॉय करने को कह रहे थे, पर शिवराज कहा किसी की सुनने वाले थे। धीरे-धीरे उन्होंने बकरी पालन के अपने धन्धे को काफी चमका लिया। काम के  बढ़ने से धीरे-धीरे उनके फार्म मे काम करने वाले लोगो की भी आवश्यकता बढी, जिसके लिए विभिन्न जिलो से लोग रोजगार की तलाश मे शिवराज के फार्म पर काम पाने के लिए आते रहे ।
     शिवराज वैसे तो बाई-नेचर बहुत ही कोमल स्वभाव के थे। पर काम के मामले मे उनका रूख अपने और काम करने वाले लोगोके प्रति कुछ वैसा ही था जैसा हम मिलिट्री के बारे मे हम सुनते है। बिल्कुल शख्त कोई हिला हवाली नही। शिवराज के वहा काम करने वाले लोगो मे कई लोग दूसरे प्रान्त से भी आए थे, पर वह सबको अपने परिवार जैसा ही प्रेम देते थे।

      अचानक एक दिन शिवराज देर रात तक घर नही लौटे,उर्मिला ने जब उनको फोन किया तो उनका फोन लगातार नाॅन रिचबल बता रहा था, हर तरफ शिवराज को ढूँढने के बाद,  थक हार कर, उर्मिला ने अपने दोनो बेटो को फोन किया और पुलिस मे शिवराज की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई । पिता की गुमशुदगी की खबर सुनकर दोनो भाई फौरन  फौज से छुट्टी लेकर गांव रवाना हुए ।

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      पुलिस ने शिवराज के गायब होने की तफ्तीश  शरू की। उन्होंने शिवराज के मोबाइल नम्बर को सर्विलांस पर डाल दिया। मगर उनका मोबाइल नम्बर अब स्वीच ऑफ  बता रहा था, उनके बारे मे दो दिनो तक पुलिस को सूचना जब प्राप्त नही हुई। तो पुलिस ने शिवराज से सम्बन्धित हर एक व्यक्ति से गहन पूछताछ शुरू कर दी, मगर कोई भी व्यक्ति उनके बारे मे कुछ भी बता पाने मे असर्मथ था। शायद उनकी वर्तमान स्थिति के बारे मे सब अन्जान थे। उर्मिला का तो शिवराज की गुमशुदगी की खबर के बाद लगातार रो-रोकर काफी बुरा हाल था।

    हालांकि इस केस मे राजस्थान पुलिस पहले तो शिवराज के स्वयं लौट आने का भरोसा रख, केस मे इतना इन्ट्रेस्ट नही रख रही थी, पर वक्त बिताने के साथ ही पुलिस की सक्रिया काफी बढ गई।

    खोज बीन मे सक्रिय पुलिस को एक बहुत बड़ा सुराग हासिल हुआ। घटना के दिन से ही, फार्म मे काम करने वाले भोपाल, मध्यप्रदेश के चार शख्स सुखबीर, परवेज, दारा,और बृजेंद्र भी गायब थे। उनकी भी कोई खोज खबर नही थी। ये बात केस को एक नई दिशा मे मोड़ रही थी। पुलिस के सामने अब नये सवाल खड़े होने लगे थे।
      क्या शिवराज की वाकई किडनैपिंग हुई है, क्या इन्ही चारो ने किडनैपिंग की थी। आखिर शिवराज के गुमशुदगी के दिन ही से इनके फार्म हाऊस से गायब होना महज एक इत्तफाक  था, या कुछ और ही बात थी। पुलिस ने पूरा शहर खोज मारा पर इन चारो का कही पता नही चला अन्त मे इस केस की तह तक पहुंच ने के लिए, राजस्थान पुलिस ने भोपाल मध्यप्रदेश की तरफ रुख किया।

    ये इन चारो का गृहजन पद था। इन्वेस्टिगेशन मे पुलिस ने पाया कि वो चारो गांव कल सुबह ही आए है। मौके पर किसी के न मिलने पर पुलिस का शक पक्का हो गया। अन्ततः पुलिस ने परवेज की पत्नी और उसके पिता को उसके घर से अरेस्ट कर के थाने मे बन्द कर दिया। जिसके बाद शाम होते-होते परवेज की वाईफ हाजरा के मोबाइल पर एक फोन आया। पुलिस ने हाजरा से फोन उठाने और उसे स्पीकर पर लेने को कहा, पता चला कि वो फोन परवेज का था। परवेज फोन पर कुछ घबराया हुआ था। उसने कुछ देर पहले ही जहर खा लिया था। और गांव के पास एक पुलिया से उसने फोन किया था।

    ये खबर सुनते ही पुलिस महकमे मे हड़कप मच गया। आनन-फानन मे पुलिस उस पुलिया पर पहुंची,मगर तब तक परवेज की हालत काफी गंभीर हो गयी थी। पुलिस किसी हाल मे इस केस से जुड़े इकलौते क्लु को गवाना नही चाहती थी। फौरन उसको लेकर पुलिस जिला अस्पताल पहुँचती है। डॉक्टरो की टीम के अथक प्रयासो से परवेज को मौत के आखिरी पायदान से निकालने मे सफलता मिलती है। पुलिस परवेज से पूछताछ शुरू करती है। पुलिस उसके निशानदेही पर उसके बाकी तीन साथियो सुखबीर, दारा, और बृजेंद्र को भी पकड़ने मे  कामयाबी हासिल होती है। पुलिस चारो को रिमांड पर लेकर पूछताछ करती है।

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   पूछताछ से पता चलता है कि शिवराज का व्यवहार वैसे तो काफी अच्छा था मगर वो काम मे किसी प्रकार  की कोताही होने पर बड़ी खरी-खोटी सुनाता था । इन चारो मे दारा को फार्म पर काम करने वाली एक लड़की रोशनी से प्यार हो जाता है।
   एक दिन रोशनी को सिनेमा दिखाने दारा फार्म हाउस से बाहर चला जाता है। तभी शिवराज वहा पहुँचते है, दारा को वहा न पाकर वो उसके बारे मे पूछ बैठते है। पर वहा मौजूद किसी शख्स के पास दारा की सूचना नही है, काफी देर के बाद जब दारा फार्म पर लौटता है। तो शिवराज उसपे काफी लाल-पीला होते है, आवेश मे आकर दारा शिवराज से अपना हिसाब करने को कहता है। शिवराज को उसके इस बात से बहुत गुस्सा आता है। और वो उसको जोर-दार थप्पड़ जड़ देता है।

     दारा रोशनी के सामने हुए अपने इस अपमान को सहन नही कर पाता, वो अपने तीनो दोस्तो से भी ये बात शेयर करता है। समय-समय पर बृजेंद्र, परवेज व सुखबीर भी शिवराज से डाँट खा चुके थे। फिर क्या था चारो के मन का विचार समाने आ जाता है। चारो शिवराज को मारने की योजना बनाते है।

     करीब दो हफ्तो के बाद वो शिवराज को स्पेशली फार्म हाउस पर मीट की दावत के लिए बुलाते है। और उसे मीट मे जहर खिला देते है। दावत के दौरान,  शिवराज को उनकी बदनियती का आभास हो जाता है। वो वहा से निकालने की कोशिश करता है। पर दारा और बृजेंद्र उनको पकड़ लेते है। परवेज रूमाल से उनका गला तब तक दबाए रखता है। जब तक उसकी धड़कने बिल्कुल बन्द नही हो गई। शिवराज को मारने के बाद, फार्म हाउस मे ही पीछे, जहा एक छोटा सा तालाब था। वहा रात मे पहले से ही उन्होंने एक गड्ढा खोद रखा था। शिवराज को उसमे दफन कर देते है। हालांकि मृत्यु से पूर्व शिवराज ने काफी हाथापाई भी की थी, मगर जहर के असर और बुजुर्ग होने के कारण शिवराज उन चारो के आगे बेबस थे ।

   घटना को अंजाम देने के बाद चारो हथारे वहा से फरार हो जाते है। वहा से निकल कर वो सीधे अपने घर की तरफ रुख करते है।

  ये केस कोर्ट मे विचाराधीन है, दोस्तो आवेश मे आकर कोई भी गलत कदम उठा लेना किसी भी तरह से जायज नही ठहराया जा सकता ।
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         Writer
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      Karan Mishra

      करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी एवं कविताएं कहने का भी बहुत शौक है । आपको, अपने निजी जीवन एवं कार्य क्षेत्र में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने की कोशिश करते रहे हैं ।

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