अब तो गांव वापस लौटने के सिवा अशोक के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। बड़ी ही उम्मीदों के साथ कमाने के लिए माता पिता ने अशोक को शहर भेजा था। पर ये क्या अशोक तो शुरुआती सफर में ही फेल हो गया था। अशोक ने इन परिस्थितियों में अपने दोस्तों से मदद की गुहार लगाई। दोस्तों की मदद से अशोक को वैसी ही एक दूसरी कंपनी में जल्दी ही जाॅब मिल गई।
मास्टर जी “तो क्या करना पड़ेगा”
कुम्हार- “इसे आग में तपाना पड़ेगा”
परिस्थितियां हमेशा एक जैसी नहीं होती मुसीबतें हर किसी पर आती हैं, और हमारी व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं। हमारा व्यक्तित्व इस बात पर निर्भर करता है। कि हम उन का मुकाबला किस प्रकार से करते हैं। जो लोग मुश्किलों से घबरा जाते हैं। वह बिखर जाते हैं, पर जो डटकर उनका सामना करते हैं वह निखर जाते हैं।