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मुझे तू याद आया .. .
तुझे देखा तो वो गुजरा जमाना याद आया
तुझे देखा तो वो आशिक पुराना याद आया
सुबह से शाम हो जाती थी तेरी इक झलक को
तेरा छुप-छुप के वो नजरें मिलाना याद आया
के जब मिलती थी तेरी नजर मेरी नजर से
तेरा शर्मा के वो नजरें झुकाना याद आया
कभी मुझे बेरुखी से नजरअंदाज करना
के फिर वो बाद में तेरा हंस-हंस के मिलना
बहुत बेचैन कर जाती हैं ये बातें तुम्हारी
के फिर मैं सोचता हूं क्यूँ मुझे तू याद आया
Tujhe Dekha To Vo Guzra Zamana Yaad Aaya
Tujhe Dekha To Vo Aashiq Purana Yaad Aaya
Subah Se Shaam Ho Jati Thi Teri Ek Jhalak Ko
Tera Chup Chup Ke Vo Nazre Milana Yaad Aaya
Ke jab Milati Thi Teri Nazar Meri Nazar Se
Tera Sharma K Vo Nazre Jhukana Yaad Aaya
Kabhi Mujhe Berukhi Se NazarAndaz Karna
Ke Fir Vo Baad Mein Tera Hus Hus Ke Milna
Bahut Bechain Kar Jati Hai Yeh Baaten Tumhari
आए न तेरी याद .. .
आए न तेरी फिर याद कभी, यही रब से दुआ करते हैं ।।
उन गलियों से गुजरे जमाने हुए, जहां मारे-मारे फिरा करते थे ।
आए न वो गलियां याद कभी, यही रब से दुआ करते हैं ।।
Karan "GirijaNandan" द्वारा प्रस्तुत
राज-ए-दिल न छेड़ो ग़ालिब,
कईयों के नकाब उतर जाएंगे।
जो छुपे बैठें हैं, शराफत- ए-चिलमन मे
वो भी बेनकाब हो जाएंगे।
Poet :- "Karan "GirijaNandan"
गमे महफ़िल को अभी मत रोको ग़ालिब,
आधी-शराब बाकी है।
कुछ अपनी कहो, कुछ हमारी सुनो,
अभी तो आधी रात बाकी है।
Poet :- "Karan "GirijaNandan"
गुजरा हुआ, फिर वक्त लौट आए तो अच्छा,कईयों के नकाब उतर जाएंगे।
जो छुपे बैठें हैं, शराफत- ए-चिलमन मे
वो भी बेनकाब हो जाएंगे।
Poet :- "Karan "GirijaNandan"
गमे महफ़िल को अभी मत रोको ग़ालिब,
आधी-शराब बाकी है।
कुछ अपनी कहो, कुछ हमारी सुनो,
अभी तो आधी रात बाकी है।
Poet :- "Karan "GirijaNandan"
पुराना कोई दोस्त मिल जाए तो अच्छा।
तन्हा ही रह गया हूं मैं इस हयात में
मासूका कोई दिल में घर बनाए तो अच्छा।
Poet :- "Karan "GirijaNandan"
यूं ही जिक्र नहीं होता,
इश्क का जमाने में।
कई आशियाने लुट गए,
एक आशियाना बसाने में।
Poet :- "Karan "GirijaNandan"
इश्क-ए-आशियाने मैं न जाने,कितने जहां बर्बाद हो गए
कुछ इश्क-ए-वफा मैं,
यूं ही जलते रहे
कुछ जल जल के खाक हो गए।
Poet :- "Karan "GirijaNandan"
तेरे जाने के बाद,
तेरी यादों के निशा मैं आज भी ढूढता हूं
तेरी कदमों की आहट
तेरी पायल की खनखन, मैं आज भी ढूंढता हूं।
Poet :- "Karan "GirijaNandan"
तेरे जज्बातो की कदर नही की मैने
तुने मुझसे मुहब्बत बेइंतहा की
मै आज भी कब्र मे जिंदा हुँ
मैने तुझसे मुहब्बत क्यो नही की...
Poet :- "Prabhakar"
हर कोई याद करे तुझको
ये दुआ करुगा यार मेरे
तेरे जाने से गम की यु बरसात हुई
हार गई तक़दीर,
ये दुआ करुगा यार मेरे
न नजर अंदाज करे तुझको
ये दुआ करुगा यार मेरे
Poet :- "Prabhakar"
तेरे जाने से गम की यु बरसात हुई
तेरे यादो से गमगीन मेरी हर रात हुई
Poet :- "Prabhakar"
चेहरे पढने का हुनर था तुझमे
मेरे दिल की बात, न पढ़ पाए तुम,
सभी के दर्द का एहसास था तुझको
मेरे जज्बात न समझ पाए तुम
Poet :- "Prabhakar"
हार गई तक़दीर,
रूठ गए सपने,
तेरे साथ ने बर्बाद किया मुझको ,
छुट गए सभी अपने,
Poet :- "Prabhakar"
जिन्दगी एक फसाना बन कर रह गई
तेरी यादो को भुलाना जब से मैंने सोच लिया
जिसे गिरती हथेलियों पे हर वक्त देखता हूँ
Poet :- "Prabhakar"
मेरे आखो में आँसू कम हैं
अपने जख्मो को हर वक्त कुरेदता हूँ
इन आंसूओ में छुपी है तस्वीर तेरी
Poet :- "Prabhakar"
टूट कर चाहा था मैने जिसे
उनकी जुबा पर मेरा नाम तक नही आया
हमदर्द थे बड़े वो हमारे
मरने के बाद उनका पैगाम तक नही आया
अब और इंतजार नही होता है मेहबूब मेरे
हमदर्द थे बड़े वो हमारे
मरने के बाद उनका पैगाम तक नही आया
Poet :- "Prabhakar"
जब से तेरे कब्र से होकर आया हुँ
लौट कर तू नही आ सकती तो बुलाले मुझे
तेर कब्र के बगल में एक कब्र खोद कर आया हु
कैसे भूल जाऊ तुझको
Poet :- "Prabhakar"
और तेरी यादो को
जब भी भुलाना चाहता हूँ
बहुत रुलाती है ये तेरी यादे मुझको
Poet :- "Prabhakar"
¤ for More Shayari alamnaama
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