बहुत ज्यादा शांति का होना किसी बड़े तूफान के आने का संकेत हो सकता हैं । समुद्र तट पर आज कुछ ऐसा ही नजारा साफ देखा जा सकता है । चारों तरफ का वातावरण बहुत शांत है । तभी अचानक वहां बहुत जोर की आंधि चलने लगती है । इस आंधी में समुद्र के तट पर स्थित विशालकाय पेड़ का एक पत्ता टूट कर नीचे गिर जाता है और तेज हवा मे बहता हुआ वह समुद्र के बिल्कुल पास जाने लगता है ।
हालांकि वह समुद्र के समीप जाने से खुद को रोकना चाहता है ताकि वह पानी में डूबकर अपने अस्तित्व को मिटने से बचा सके परंतु हवा के वेग के आगे उसकी एक नही चल रही । वह समुद्र मे विलीन होने से महज चन्द कदम ही दूर है कि
तभी संयोगवश पेड़ के जड़ों में स्थित मिट्टी का एक छोटा सा ढेला नीचे लुढ़कते-लुढ़कते पत्ते के ठीक ऊपर आ टिकता है और इस प्रकार जाने-अनजाने में वह पत्ते के अस्तित्व को मिटने से बचा लेता है । मिट्टी के ढेले के उपकार के प्रति पत्ते मे कृतज्ञता का भाव उत्पन्न होता है ।
वह ढेले को धन्यवाद कहता है ढेला भी "यू वेलकम" कहके पत्ते के धन्यवाद का जवाब देता है । इसप्रकार दोनो मे बातचीत शुरू हो जाती है । वहीं थोड़ी देर में आंधी भी थम जाती है परंतु आंधी के थमते ही अचानक जोर-जोर की बारिश शुरू हो जाती है । बारिश की बड़ी-बड़ी बूंदों को खुद पर पड़ता देख, ढेले का हृदय कांप उठता है ।
वह खुद को बचाने के लिए, मदद की आश में इधर-उधर आंखें फाड़े देख रहा है किन्तु उसकी मदद करने वाला वहां कोई नहीं है । यदि बारिश की ये बूंदे कुछ देर और यूं ही ढले पर पड़ती रही तो निश्चित रूप से मिट्टी का ढेला पानी में घुल कर अपना अस्तित्व ही खो देगा
तभी अचानक पत्ता तपाक से ढेले के ऊपर आ जाता है । ढेले के ऊपर पत्ते के आ जाने से वह अब पूरी तरह सुरक्षित है । पत्ता एक छतरी की भांति उसकी रक्षा कर रहा है ।
इस प्रकार पत्ते ने ढेले की जान बचाकर उसके उपकारो का बदला चुका दिया है । इस घटना के बाद वे दोनों काफी अच्छे दोस्त बन जाते हैं । दोनों अब हमेशा साथ- साथ दिखाई देते हैं और अक्सर मुसीबत आने पर एक दूसरे का यूं ही साथ देते हैं ।
परंतु इन दोनों की दोस्ती से हवा और पानी को बहुत चीढ़ है क्योंकि इनके जुगलबंदी के नाते, वे इनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाते । एक दिन हवा ढेले से कहता है
"देखो दोस्त वैसे तो पत्ते ने भी तुम्हारी जान बचाकर, तुमपर कोई कम एहसान नही किया । परंतु मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारा उपकार पत्ते पर उससे कहीं ज्यादा है"
"भला, वो कैसे"
(ढेला हंसकर पूछता है)
दोस्त, बरसात तो वैसे कभी-कभार होती है परंतु आंधी और तेज हवाएं अक्सर चलती रहती है । ऐसे में तुम पत्ते की ज्यादा बार मदद करते हो जबकि पत्ता कभी कभार ही तुम्हारे काम आता है । ऐसे में पत्ते को तुम्हारा एहसान मानना चाहिए परंतु पत्ते को ऐसा लगता है कि उसका भी तुम पर बराबर का उपकार है जबकि ऐसा नही है"
ढेला हवा से कुछ कहता तो नही है परंतु धीरे-धीरे उसके मन में हवा की बातें घर कर जाती है तभी एक दिन जोर की आंधी आती है । पत्ता मदद के लिए ढेले की तरफ देखता है परंतु ढेला गुरुर में पत्ते को इग्नोर कर रहा है परिणामस्वरूप पत्ता आखिरकार समुद्र की तेज धार में समाहित हो जाता है ।
ढेला पत्ते की ऐसी दुर्गति को देखकर मुस्कुरा रहा है, परन्तु उसकी ये खुशी ज्यादा देर नही टिक पाती । हवा के रूकते ही थोड़ी ही देर में बहुत जोर की बारिश शुरू हो जाती है । ढेला चारों तरफ मदद की आश में आंखे फाड़े देख रहा है किन्तु इसबार उसकी मदद करने वाला वाकई कोई नहीं है । दूसरो की बातो में आकर उसने अपने एक मात्र साथी को पहले ही खो दिया है । ढेले पर गिरती बारिश की बूंदे धीरे-धीरे उसे गलाने लगती हैं और आखिरकार पत्ते के साथ-साथ ढेले का भी अस्तित्व समाप्त हो जाता है ।
पत्ते और ढेले की कहानी | अभिमान विनाश का कारण है - कहानी से शिक्षा
जिसप्रकार तलवार का काम सुई और सुई का काम तलवार नही कर सकती । उसी प्रकार हर किसी की अपनी महत्ता है। हमें किसी को खुद से कम नही आकना चाहिए क्योंकि इससे अहंकार का जन्म होता है और जो विनाश का कारण बनता है ।
दूसरो के विचारो को जानना अच्छा है परंतु बिना सोचे समझे उनके कहे अनुसार चलना मूर्खतापूर्ण है । रामायण इसका सबसे बड़ा उदाहरण है । जिसमे मन्थरा की बातो मे आकर कैकयी ने, न सिर्फ अपना बल्कि समस्त अयोध्यावासीय का भविष्य अंधकार मे डाल दिया ।
मित्रों दुनिया में दोस्ती सबसे अनमोल है । दोस्त व अपने, बड़े भाग्य से मिलते है । हमें इन रिश्तो को बनाए रखने की हर मुमकिन कोशिश करनी चाहिए । एक-दूसरे के उपकारो को तराजू मे तौले बगैर, एक-दूसरे की Help के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए क्योंकि ये दोस्त ही हैं जो मुसीबतो में खेवनहार बनकर हमारे जिन्दगी की नईया पार लगा सकते हैं ।
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