अहंकार पर कहानी | How To Control Ego Short Motivational Story In Hindi
नेवी से रिटायर हो जाने के बाद मकबूल मियां ने कोई बिजनेस करने की सोची उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी मगर उन्हें किसी भी काम का अनुभव नहीं था । ऐसे में उन्होंने अपने दोस्तों से राय लेने की सोची । मकबूल मियां का मकान एक ऐसे इलाके में था जहां कई लोग उसकी कई पुश्तों से जूते बनाने का काम किया करते थे ।
ऐसे में उन्हें भी इस काम की थोड़ी जानकारी जरूर थी । मकबूल मियां को यह काम अच्छा लगा । उन्होंने देर न करते हुए अपने मकान में ही जूते बनाने का काम शुरू कर दिया । इसके लिए उन्होंने दो कारीगर रखे और उनके साथ दो सेल्समैन भी रखते हैं । सेल्समैनो का काम जूतों की पैकिंग करना और फिर उन्हें गत्तों में पैक करके छोटे-छोटे दुकानदारों तक पहुंचाना और फिर जूते के पैसे वसूल करना था ।
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दोनों सेल्समैनों में आरिफ काफी समझदार था । वह ज्यादा पढ़ा लिखा तो नहीं था मगर सीखने की लगन उसमे बहुत थी । ऐसे में अनपढ़ के समान होने के बावजूद वह पढ़े-लिखो के जैसा दिखता था । मकबूल मियां को अपना हाथ बताने वाले किसी बंदे की जरूरत पड़ने लगी । ऐसे में उन्होंने बाहर से कोई अंदर न रखते हुए आरिफ को प्रमोट करने की सोची क्योंकि आरिफ वाकई में बहुत होनहार था । उसके पास सिर्फ डिग्री नहीं थी अन्यथा सीखने की कला उसमें कूट-कूट कर भरी थी ।
मकबूल मियां ने आरिफ को अपने हिस्से का थोड़ा बहुत काम सौंप दिया । आरिफ ने उस काम को बहुत ही लगन और मेहनत से किया । उसके इस जिम्मेदारी भरे काम को देखते हुए धीरे-धीरे आरिफ को मकबूल मियां ने अपना सारा काम सौंप दिया । अब वह ज्यादा वक्त अपने दोस्त को घर परिवार को दिया करते हैं क्योंकि धंधे की सारी परेशानियां तो आज भी संबंधित है कंप्यूटर पर इन्वाइट करना लोगों से ऑर्डर लेना उन्हें समय से पहुंचना उनसे पैसे वसूलना सारी की सारी जिम्मेदारियां आरिफ ने बखूबी निभानी शुरू कर दी ।
यह देख कर आरिफ को काम का इनाम देते हुए मकबूल मियां ने उसे उसकी तनख्वाह काफी बढ़ा दी और उसे एक मोबाइल फोन और एक मोटरसाइकिल दी । कल तक साइकिल से गली-गली सामान ढोने वाला आरिफ अब एक स्मार्ट मैनेजर बन चुका था । घर परिवार नात रिश्तेदारियो में उसकी इज्जत बहुत बढ़ गई थी, परंतु जैसे कम देख पाने वाले इन्सान के लिए, उसका चश्मा ही उसकी आंखे होती है, ठीक वैसे ही आरिफ, मकबूल मियां का चश्मा बन चुका था ।
जैसे ही इस बात का एहसास आरिफ को हुआ उसके तो जैसे रंग ही बदल गए । कल तक गली गली साइकिल से गत्ते ढोने वाला आरिफ, आज खुद को किसी मल्टीनेशनल कंपनी का सीईओ समझ बैठा । अब वह बात बात पर वहां काम करने वाले वर्करों पर रौब झाड़ता । यही नहीं अब तो वह मकबूल मियां के बड़े से बड़े कस्टमरों को भी अपने पैर की जूती समझता, उनकी हर बात का वह अक्सर टेढ़ा ही जवाब देता है । हालांकि मकबूल बिया उसे बार-बार कस्टमरों से अच्छा व्यवहार करने की सीख देते, परंतु वह सुधरने की बजाय और बिगड़ता चला गया अब तो
वह मकबूल मियां से भी ऐसे पेश आता, जैसे मकबूल मियां उसके बाॅस नही बल्कि वही मकबूल मियां का बाॅस हो । मगर काम की बारीकियों को भूल चुके मकबूल, अब आरिफ की बत्तमिजींयों की बर्दाश्त करने के लिए मजबूरिया थे ।
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एकबार आरिफ कुछ अस्वस्थ होने के कारण लगभग दो हफ्तों तक ऑफिस नहीं आया । इसी बीच मकबूल मियां और एक नई पार्टी के बीच एक बड़ा सौदा हुआ इसी नए सौदे की खुशी मे मकबूल मियां अपने खास दोस्तों के साथ, चाय नाश्ते की पार्टी कर रहे थे तभी अचानक आरिफ का वहां आना हुआ जैसे ही उसे इस बात की भनक लगी कि उसे बिना बताए मकबूल मियां ने किसी नए पार्टी के साथ सौदा कर लिया है उसे बहुत जोर का गुस्सा आया उसने अपना बैग सामने सोफे पर फेंकते हुए मकबूल मियां से बड़े ही बदतमीज भरे अंदाज में बोला
"अरे सर, आप भी ना.. . जब आपको यह पता ही नहीं कि किससे डील करनी चाहिए और किससे नहीं तब आप बिना पूछे ऐसे किसी से भी डील क्यों कर लेते हैं । अब इसी डील को ले लीजिए बताइए इसमें हमें क्या मुनाफा होगा ? उल्टे जेब से ही जाएगा .. . अगर मैं नहीं था तो मेरे आने का इंतजार कर लिया होता या नहीं तो कम से कम मुझे एक फोन तो कर सकते थे .. . आप भी न सर"
आरिफ की बातों में दम तो जरूर था मगर उसके बोलने का अंदाज बहुत खराब था । उसकी बातों को सुनकर उसके दोस्त मकबूल मियां पर हंस पड़े । मकबूल मियां, वहां चेयर पर बैठे-बैठे बहुत असहज महसूस कर रहे थे ।
एक दिन अचानक ऑफिस में एक नए लड़के का आगमन हुआ । पता चला कि उसे मकबूल मियां ने बतौर मैनेजर यहां नौकरी पर रखा है । जिसे अब वो सारे काम करने हैं जो अबतक आरिफ मियां करते आए हैं । अब आरिफ मियां का काम बस मैनेजर साहब को काम की बारीकियां से अवगत कराना था ।
नवयुवक काफी एजुकेटेड और समझदार था उसने कुछ ही दिनो मे सारा काम सीख लिया । जैसे जैसे नवयुवक काम को सीखता गया वैसे-वैसे आरिफ को अपनी पुरानी जगह पर लौटना पड़ा । उनके सारे ऐशो-आराम अब छीन चुके थे । उनके पास अब वही अपनी पुरानी साइकल थी जिसपर वे पहले की तरह एकबार फिर गत्ते लादे, दुकान-दुकान माल पहुंचाने का काम करता हैं ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
अहंकार व्यक्ति के विनाश का कारण है । अहंकार का मुख्य कारण अज्ञानता है, जहां अज्ञानता होगी वहां अंहकार का जन्म लेना स्वभाविक है इसलिए हमे हमेशा ज्ञान के भंडार अर्थात गुरु के समीप रहने की आवश्यकता है !
Meaning Of Ego
अहंकार शब्द "अहं" से बना है जिसका अर्थ है "मैं" जब व्यक्ति मे खुद की अलग पहचान का भाव आ जाता है तब वह मैं की भावना से ग्रस्त हो जाता है, इसे ही अहंकार कहते हैं । महात्माओं ने इसे त्याग देने को ही अच्छा बताया है ।
How To Control Ego In Hindi
हम इस "मैं" की भावना से दूर रहकर ही, अपने अहंकार पर काबू पा सकते हैं । हमें जैसे ही अपने अंदर "मैं" की भावना का बोध हो वैसे ही हमें समझ लेना चाहिए कि हमारे अंदर अहंकार जन्म ले रहा है और इसके पता चलते ही हमें इसे अपने अंदर से तुरंत निकाल फेंकना चाहिए बस यही एक रास्ता है जिससे हम अपने अहंकार पर काबू पा सकते हैं ।
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