वो नन्ही सी गिलहरी जो अक्सर घर की छत पर कभी इधर से उधर तो कभी उधर से इधर दौड़ लगाया करती, जो छत पर बिखरे दानों को अपने नन्हें हाथों से उठाकर खाने की कोशिश किया करती ।
आज वो नन्ही गिलहरी बहुत याद आ रही है । उसकी मनोहारी क्रीड़ा भरा वो दृश्य बार-बार आंखों के सामने आ रहा है परंतु उसका इस प्रकार याद आना कोई सामान्य नहीं है ।
जाने क्यूँ, वो नन्ही गिलहरी आज बहुत शांत है । वह छत के एक कोने में दीवार से दुबके हुए बहुत सुस्त पड़ी है वह अपनी आंखो को ठीक से खोल भी नही पा रही है ।
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उसे इसहाल में देख कर मासूम तनु काफी परेशान हो जाती है और पिता से प्रश्नों की बौछार लगा देती है । वह कहती है
"पापा ये इतनी शांति क्यों है ? इसे क्या हुआ है ? क्या यह बीमार है ? इसके लिए कुछ करो ? इसका इलाज करो ?"
पिता अभी कुछ सोच पाते कि तभी तनु अचानक भागे-भागे छत से नीचे चली जाती है । नीचे पहुंचकर, वह मां के हाथो से मोबाइल फोन छिनते हुए कहती है कि
"भगवान इसे ठीक कर दो"
"मुझे अपना फोन दो मैं सर्च करूंगी कि आखिर गिलहरी जब सुस्त पड़ जाय तब हमें क्या करना चाहिए"
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परंतु नेटवर्क प्रॉब्लम की वजह से उसे कोई जवाब नहीं मिल पाता । परेशान तनु वापस भागे-भागे छत पर पहुंचती है तभी अचानक उसकी नजर छत के कोने पर रखें शिवलिंग पर पड़ती है । वह फौरन उस शिवलिंग के सामने जाकर खड़ी हो जाती है । उसकी आंखें बंद हैं और दोनों हाथ एक-दूसरे से चिपके हुए है । वह अपनी
प्रार्थना में ईश्वर से कहती है
"भगवान इसे ठीक कर दो"
वह अपनी प्रार्थना को लगातार दोहराए जा रही है तभी एक चमत्कार होता है । गिलहरी अपनी जगह से थोड़ा सा खिसककर कुछ दूर बैठ जाती है । जिसे देखकर तनु खुशी से उछल पड़ती है । वह भगवान से कहती है
"थैंक यू भगवान तुमने मेरी प्रार्थना सुन ली, भगवान तुम बहुत अच्छे हो"
ऐसा कहते हुए वह सरपट नीचे की तरफ भागती है वापस आने पर उसके दोनों हाथ में दो कटोरे हैं जिनमें से एक कटोरे में अनाज के कुछ दाने हैं तो वहीं दूसरा कटोरा पानी से भरा है । वह उन कटोरो को नन्ही गिलहरी के पास रख देती है । थोड़ी ही देर में नन्ही गिलहरी चलने की कोशिश करती है ।
यह सब देखकर तनु का भगवान पर विश्वास और भी बढ़ जाता है ।
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कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
दोस्तों ऐसी प्रार्थना जो इस कहानी में तनु ने नन्ही गिलहरी के लिए की, वैसी ही प्रार्थना कभी न कभी, हम सबने किसी न किसी के लिए की अवश्य की होगी, जिनमें से कुछ मे सुखद समाचार प्राप्त हुए तो कुछ में निराशा हाथ लगी परंतु हमें निराशाओं से निराश होकर अपने कर्तव्य से पीछे नही हटना चाहिए । हमें सभी नकारात्मक विचारों को त्याग कर तनु की भाँति सच्चे मन से प्रार्थनाएं करते रहना चाहिए । क्या पता हमारी कौन सी प्रार्थना ईश्वर के हृदय को छू ले और किसी का भला हो जाए ।
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